पाशुपतिनाथ मंदिर में रुद्री पूजा Special Puja In Pashupatinath

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रुद्री पूजा क्या है?
रुद्री पूजा एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली वैदिक पूजा है, जो भगवान शिव की आराधना के लिए की जाती है। इसमें विशेष रूप से यजुर्वेद के श्री रुद्रम (Rudra Adhyaya) का पाठ किया जाता है। यह पूजा भगवान शिव के रूद्र रूप को शांत करने, जीवन में सुख-शांति और आरोग्यता प्राप्त करने के लिए की जाती है।पशुपतिनाथ मंदिर में रुद्री पूजा करना अत्यंत फलदायक और आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली माना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव के "पशुपति" स्वरूप को समर्पित है, जो सभी प्राणियों के स्वामी हैं। रुद्री पूजा में यजुर्वेद के श्री रुद्रम का पाठ किया जाता है, जिसे शिव को प्रसन्न करने वाला सबसे प्रभावशाली वैदिक स्तोत्र माना गया है। जब यह पाठ इतने पवित्र स्थल पर किया जाता है, तो इसका फल कई गुना अधिक होता है। बागमती नदी के किनारे स्थित यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है, बल्कि यहाँ की वैदिक परंपरा और ब्राह्मणों द्वारा विधिपूर्वक की जाने वाली पूजा इसे और भी दिव्य बनाती है। माना जाता है कि यहाँ रुद्री पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है, पापों का नाश होता है, और जीवन की कठिनाइयाँ दूर होकर मोक्ष की ओर मार्ग खुलता है। विशेष रूप से रोग निवारण, संतान प्राप्ति, ग्रह दोष शांति, मृत आत्मा की शांति या किसी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए यहाँ रुद्री पूजा कराना अत्यंत शुभ माना जाता है। नेपाल और भारत दोनों देशों के श्रद्धालुओं के लिए यह स्थान आस्था, शक्ति और शांति का केंद्र है।
रुद्री पूजा क्यों की जाती है?
- मानसिक शांति और आत्मिक शुद्धि के लिए
- स्वास्थ्य, धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए
- बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा के लिए
- परिवार में सुख-शांति और संतान सुख के लिए
- विशेष अवसरों जैसे जन्मदिन, विवाह, मृत्यु तिथि, ग्रहदोष शांति, रोगमुक्ति आदि के लिए
- मोक्ष प्राप्ति और आत्मिक उन्नति के लिए
रुद्री पूजा की प्रक्रिया (विधि)
रुद्री पूजा आमतौर पर योग्य ब्राह्मण पंडितों द्वारा की जाती है और इसमें निम्नलिखित चरण होते हैं:
- संकल्प – पूजा का उद्देश्य बताकर जल और फूल से संकल्प लेना
- गणपति पूजन – बाधाओं को दूर करने के लिए श्री गणेश का पूजन
- कलश स्थापना – पवित्र जल से भरा हुआ कलश स्थापित करना
- नवग्रह पूजन – नौ ग्रहों की शांति के लिए पूजा
- शिव लिंग अभिषेक – दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल, बेलपत्र, पुष्प आदि से शिवलिंग का अभिषेक
- श्री रुद्रम पाठ – पंडित द्वारा श्री रुद्रम का पाठ किया जाता है
- आरती और प्रसाद – अंत में आरती और प्रसाद वितरण किया जाता है
रुद्री पूजा के प्रकार
प्रकार |
विवरण |
---|---|
साधारण रुद्री |
एक बार श्री रुद्रम पाठ और अभिषेक। |
लघु रुद्राभिषेक |
11 बार श्री रुद्रम का पाठ। |
महा रुद्राभिषेक |
121 बार श्री रुद्रम का पाठ, कई ब्राह्मण मिलकर करते हैं। |
अति रुद्राभिषेक |
1,331 बार श्री रुद्रम का पाठ, विशेष अवसरों पर। |
पशुपतिनाथ मंदिर – नेपाल और भारत के बीच आध्यात्मिक सेतु
पशुपतिनाथ मंदिर, जो काठमांडू (नेपाल) में स्थित है, न केवल नेपाल बल्कि भारत के करोड़ों हिंदुओं के लिए भी एक अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल है। यह मंदिर भगवान शिव के "पशुपति" रूप को समर्पित है, जो समस्त प्राणियों के स्वामी हैं।
नेपाल और भारत दोनों देशों के लोग यहाँ आकर भगवान शिव की आराधना करते हैं, विशेष रूप से महाशिवरात्रि, तीज, और श्रावण माह में यहाँ भारतीय श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
भारत और पशुपतिनाथ मंदिर का गहरा संबंध
1. धार्मिक संबंध
· भगवान शिव भारत और नेपाल दोनों के प्रमुख देवता हैं।
· भारत के चार धाम, ज्योतिर्लिंग, काशी विश्वनाथ, केदारनाथ, और सोमनाथ जैसे तीर्थस्थलों के साथ-साथ, पशुपतिनाथ को भी अत्यंत पवित्र माना जाता है।
· पशुपतिनाथ मंदिर को कभी-कभी "नेपाल का काशी" भी कहा जाता है।
2. पंडित और पुजारी भारत से
· विशेष बात यह है कि पशुपतिनाथ मंदिर में मुख्य पूजा भारतीय ब्राह्मणों द्वारा की जाती है, जो कर्नाटक राज्य से चुने जाते हैं।
· इन्हें "भट्ट" पुजारी कहा जाता है और ये दक्षिण भारतीय वैदिक परंपरा का पालन करते हैं।
3. भारत-नेपाल तीर्थ यात्रा मार्ग
· भारत के कई श्रद्धालु तीर्थ यात्रा के दौरान काशी, गया, प्रयागराज, और वैष्णो देवी के साथ-साथ पशुपतिनाथ को भी शामिल करते हैं।
· विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तराखंड से बड़ी संख्या में श्रद्धालु नेपाल आते हैं।
4. राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंध
· भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा होने के कारण भारतीय श्रद्धालु बिना वीजा के नेपाल यात्रा कर सकते हैं।
· भारत-नेपाल के सांस्कृतिक संबंध इतने प्रगाढ़ हैं कि दोनों देशों के लोग एक-दूसरे के तीर्थों में समान श्रद्धा रखते हैं।
महाशिवरात्रि पर भारतीय श्रद्धालु
· हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर भारत से लाखों लोग नेपाल आकर पशुपतिनाथ में रात्रि जागरण, विशेष अभिषेक, और शिव की आराधना करते हैं।
· नेपाली सरकार और स्थानीय स्वयंसेवक भारतीय श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध करते हैं।
रुद्री पूजा यात्रा कार्यक्रम – पाशुपतिनाथ मंदिर (5 घंटे)
प्रारंभ समय: सुबह 5:00 बजे | समाप्ति समय: सुबह 10:00 बजे
5:00 AM – होटल से प्रस्थान
- स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें (सफेद या हल्के रंग के पारंपरिक कपड़े)
- पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की अंतिम जांच (आप पहले ही सब तैयार रख चुके हैं)
- होटल से पाशुपतिनाथ मंदिर के लिए टैक्सी / गाड़ी से प्रस्थान
5:20 AM – पाशुपतिनाथ मंदिर आगमन
- मुख्य गेट से प्रवेश (दक्षिण गेट या जयबागेश्वरी गेट)
- मंदिर परिसर में पूजा स्थान पर पहुँचना
- पंडितगण से मिलना (पूर्व में बुक किया गया)
5:30 AM – पूजा प्रारंभ (संकल्प और प्रारंभिक पूजन)
- पंडित द्वारा पूजा का संकल्प कराया जाएगा
- गणेश पूजा, नवग्रह पूजा, कलश स्थापना
- सभी आवश्यक वस्तुओं की पूजन के अनुसार व्यवस्था
6:00 AM – 9:30 AM – लघु रुद्राभिषेक (11 बार रुद्री पाठ)
- 11 बार श्री रुद्रम / रुद्री पाठ ब्राह्मणों द्वारा किया जाएगा
- साथ में शिवलिंग पर अभिषेक:
- दूध, दही, घी, शहद, शक्कर
- जल, गंगाजल, बेलपत्र, फूल, चंदन
- धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पण
- प्रतिपाठ के बाद आरती और शिव मंत्र उच्चारण
- पूजा में आप भी भाग ले सकते हैं (पुजारियों के निर्देश अनुसार)
9:30 AM – समापन पूजा और आशीर्वाद
- अंतिम आरती
- प्रसाद वितरण
- पंडित द्वारा विशेष आशीर्वचन और आशीर्वाद
- पूजा पूर्ण होने पर दक्षिणा समर्पण
9:50 AM – चाय / हल्का नाश्ता (पास में)
- मंदिर के बाहर आसपास चाय / कॉफी या हल्का नाश्ता लेना
10:00 AM – होटल वापसी
Trip Cost Includes & Excludes
पैकेज शुल्क में शामिल सेवाएँ (Cost Includes)
- यात्रा वाहन की व्यवस्था – समूह के आकार के अनुसार निजी कार, जीप या बस द्वारा होटल से पाशुपतिनाथ मंदिर तक आने-जाने की सुविधा।
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हिंदी बोलने वाले टूर गाइड और पंडितजी – पूरी पूजा प्रक्रिया में साथ रहने के लिए अनुभवी गाइड और वैदिक विधि से पूजा करवाने वाले योग्य ब्राह्मण।
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पूजा के लिए आवश्यक सभी सामग्री – रुद्री पूजा हेतु आवश्यक सभी वस्तुएँ जैसे:
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दूध, दही, घी, शहद, जल, गंगाजल
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बेलपत्र, फूल, फल, धूप, दीप, कपूर
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कलश, चावल, पान-सुपारी, नारियल
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पूजा थाली, आसन, रुद्राक्ष माला आदि।
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